उठा उठा हो सकळीक यह भगवान गणेश जी का मराठी मे भजन है । इस भजन को रामानंद जी ने लिखा है, इस भजन को विशेष रूप से प्रातः समय की पूजा मे गाया जाता है, इसमे भगवान गजानंद जी को प्रातः समय उठाने और उनके रूप का वर्णन किया गया है । इस भजन को लता मंगेशकर जी ने अपनी मधुर आवाज से सजाया है ।
उठा उठा हो सकळीक भजन
भजन : | उठा उठा हो सकळीक |
लेखक : | रामानंद |
गायक : | लता मंगेशकर |
भजन: उठा उठा हो सकळीक
उठा उठा हो सकळीक
वाचे स्मरावा गजमुख
ऋद्धिसिद्धिचा नायक
सुखदायक भक्तांसी
उठा उठा हो सकळीक….
अंगी शेंदुराची उटी
माथां शोभतसे किरीटी
केशर कस्तुरी लल्लाटी
हार कंठी साजिरा
उठा उठा हो सकळीक….
कानी कुंडलांची प्रभा
सूर्य-चंद्र जैसे नभा
माजि नागबंदी शोभा
स्मरतां उभा जवळी तो
उठा उठा हो सकळीक….
कांसे पीताम्बराची धटी
हाती मोदकांची वाटी
रामानंद स्मरतां कंठी
तो संकटी पावतो
उठा उठा हो सकळीक….
उठा उठा हो सकळीक
वाचे स्मरावा गजमुख