हनुमान आरती: आरती कीजै हनुमान लला की। Hanuman ji ki Aarti

श्री हनुमान जी की आरती प्रसिद्ध संत श्री गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित है, भगवान हनुमान का जन्म हिन्दू पंचांग के चैत्र माह की पूर्णिमा पर चित्रा नक्षत्र और मंगलवार को मेष लग्न में हुआ था। पूजा के समय इन्‍हीं पक्तिंयों से हनुमानजी की आरती उतारने की परंपरा है, श्री हनुमान जी को भक्तराज भी कहा जाता है, क्योंकि ये श्री राम के परम भक्त है । इन्होंने भक्ति के माध्यम से ही अतुलित बल और ज्ञान ,सिद्धि और भगवान श्री रामचन्द्र जी को प्राप्त किया है।तो हमे भी श्री हनुमान जी के बताए भक्ति मार्ग का अनुसरण करके जीवन मे सुख ,समृद्धि और भगवान को प्राप्त करना चाहिए

Hanuman ji ki Aarti Details

आरती :आरती कीजे हनुमान लला की
रचयिता:गोस्वामी तुलसीदासजी
गायक:Hariharan
Music:Lalit Sen, Chander
Lable:T-Series

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आरती: आरती कीजै हनुमान लला की

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् ,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥

॥ आरती ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाये ।
लंका जारि सिया सुधि लाए ॥
लंका सो कोट संमदर सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
आनि संजिवन प्राण उबारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जम कारे ।
अहिरावन की भुजा उखारे ॥
बायें भुजा असुर दल मारे ।
दाहीने भुजा सब संत जन तारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर नर मुनि आरती उतारें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसहिं बैकुण्ठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंश किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

॥ इति संपूर्णम ॥

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