गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार यह भगवान गणेश की भजन है । इस भजन मे गणेश जी से अपने जीवन के कष्टों को हरने और इस जीवन रूपी भवसागर से पार लगाने के लिए विनती की गई है , भगवान गणेश विघन हरता और बहुत दयालु है, जो भी उनसे सच्चे मन से विनती करता है, वे जरूर उन पर कृपा करते है ।
गाइये गणपति जगवंदन भजन
भजन : | गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार |
Lyrics: | traditional |
भजन: गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार
गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार है,
तू ही खिवैया जग का तू ही पतवार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार है,
तू ही खिवैया जग का तू ही पतवार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
तुम ही रिद्धि सिद्धि के दाता,
गजानंद पार करना,
नाव है बिच भंवर में,
मेरा उद्धार करना,
अब तो तेरे भरोसे हो ओ ओ,
मेरा परिवार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
मेरे ओ गणपति देवा,
करूँ अब तेरी सेवा,
भोग लड्डुअन का लगाऊं,
दूर करो कष्ट देवा,
तुझको पहले मनाता हो ओ ओ,
सारा संसार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
मेरे परिवार को देवा,
सदा खुशहाल रखना,
दया की दृष्टि रखना,
तू मालामाल करना,
तेरा ही ध्यान लगता हो ओ ओ,
सेवक हर बार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है,
तू ही खिवैया जग का तू ही पतवार है,
गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार है ||
गजानंद नाव मेरी पड़ी मजधार है,
तू ही खिवैया जग का तू ही पतवार है,
गजानन्द नाव मेरी पड़ी मजधार है ||